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अच्छी शिक्षा

5:30 am, Posted by दास्तानें, No Comment

एक बहुत बड़ा विद्वान बादशाह के बेटे को पढ़ाता था। वह उसे बेहद डांटता और मारता रहता था। एक दिन मजबूर होकर लड़के ने पिता के पास जाकर शिकायत की और अपना जख्मी जिस्म भी दिखाया। बादशाह का दिल भर आया। उसने उस्ताद को बुलवाया और कहा, 'तू मेरे बच्चे को जितना झिड़कता और मारता है, इतना आम लोगों के बच्चों को नहीं, इसकी वजह क्या है?'
उस्ताद बोला, 'वजह यह है कि यों तो सोच-समझकर बोलना और अच्छे काम करना सब लोगों के लिए जरूरी है, लेकिन बादशाहों के लिए खासतौर से जरूरी है। जो बात उनकी जुबान से निकलेगी या जो काम उनके हाथ से होगा, वह सारी दुनिया में मशहूर हो जाएगा, जबकि आम लोगों की बात और काम का इतना असर नहीं होता।'
यदि किसी फकीर में सौ ऐब हैं, तो उसके साथी उसका एक ऐब भी न लेंगे, लेकिन बादशाह से एक नाजायज हरकत हो जाए, तो उसकी शोहरत मुल्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हो जाएगी। 'इसलिए अन्य बच्चों के मुकाबले में बादशाह के बेटे के चरित्र को संवारने की उस्ताद को ज्यादा कोशिश करनी चाहिए।' जिस बच्चे को तू बचपन से अदब नहीं सिखाएगा, वह जब बड़ा होगा, तो उसमें कोई गुण नहीं होगा। जब तक लकड़ी गीली रहती है, उसे कैसे ही मोड़ लो। जब वह सूख जाती है, तो आग में रखकर ही उसे सीधा किया जा सकता है। जो लड़का सिखाने वाले का जुल्म बर्दाश्त नहीं कर सकता, उसे जमाने का जुल्म बर्दाश्त करना पड़ता है। बादशाह को उस काबिल उस्ताद की बात पसंद आई। उसने खुश होकर इनाम दिया।     -शेख सादी

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